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प्रकाशन दिनांक | प्रकार | शिर्षक | लेखक | वाचने | प्रतिसाद |
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02/05/2013 | माझी मराठी गझल | काळजाची खुळी आस तू | गंगाधर मुटे | 4,159 | 3 |
09/03/2014 | माझी मराठी गझल | गझलविश्वाची परिभाषा बदलणारा गझलसंग्रह - श्री राज पठाण | संपादक | 4,956 | 3 |
17/03/2014 | देशाटन | हिमालय की गोद मे : पूर्वार्ध | गंगाधर मुटे | 4,805 | 3 |
10/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | बळिराजा | Mohan Kurhade | 5,764 | 3 |
11/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | मी उपाशी..! | Ravi Dharne | 3,730 | 3 |
11/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | पराटीच्या बोंडामंदी...! | Ravi Dharne | 3,423 | 3 |
18/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | साक्षात पावसाला... | शिवम् पिंपळे | 3,696 | 3 |
19/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | उपाशी तारू कैसे... | सुगत | 3,492 | 3 |
19/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | फिर्याद एवढी की | मारोती पांडूरंग... | 3,833 | 3 |
19/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | गारपीट | Kirti Kulkarni | 4,902 | 3 |
19/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | पीकपाणी | Prafulla Bhujade | 3,652 | 3 |
20/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | पीक | राजीव मासरूळकर | 3,560 | 3 |
20/11/2014 | लेखनस्पर्धा-२०१४ | कुण्ब्याच्या आयुष्यात | Dinesh shinde | 4,256 | 3 |
27/03/2015 | काव्यधारा | पुन्हा जगायचे आहे | संदीपकुमार | 3,507 | 3 |
19/04/2015 | माझी मराठी गझल | वैश्विक खाज नाही | गंगाधर मुटे | 3,792 | 3 |
21/04/2015 | माझी मराठी गझल | पाहून घे महात्म्या | गंगाधर मुटे | 4,651 | 3 |
15/09/2011 | देशाटन | विदर्भाची कन्याकुमारी - शेगावचे आनंदसागर | गंगाधर मुटे | 7,576 | 3 |
15/09/2011 | देशाटन | डोंगरगढ, माँ बम्लेश्वरी, नवेगावबांध, टिटियाडोह | गंगाधर मुटे | 6,474 | 3 |
03/09/2015 | लेखनस्पर्धा-२०१५ | जगवा राव : प्रवेशिका | Raosaheb Jadhav | 3,478 | 3 |
03/09/2015 | लेखनस्पर्धा-२०१५ | भांडण : प्रवेशिका | Raosaheb Jadhav | 3,165 | 3 |
05/09/2015 | लेखनस्पर्धा-२०१५ | * नावहीन गाववेद्ना* : प्रवेशिका | Raosaheb Jadhav | 3,406 | 3 |
20/09/2015 | लेखनस्पर्धा-२०१५ | फाळ तापतो | Raosaheb Jadhav | 4,652 | 3 |
13/10/2015 | माझी मराठी गझल | कळली तर कळवा | गंगाधर मुटे | 5,290 | 3 |
23/03/2016 | माझी कविता | मामाच्या पोरींना शिमग्याची भेट! | गंगाधर मुटे | 6,997 | 3 |
13/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | बैल माझा | महादेव बाबासो बुरुटे | 3,978 | 3 |
13/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | कविता - चल आता | Ravindra Kamthe | 3,711 | 3 |
17/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | जोमात पीक आले | SANDHYA | 5,176 | 3 |
20/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | मरणवेध | मुक्तविहारी | 3,229 | 3 |
21/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | पोळा अन ती (ग्रामीण कथा) | Raosaheb Jadhav | 6,577 | 3 |
25/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | एकटी | माधव गिर | 4,973 | 3 |
29/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | देवा गरीबाच्या घरी ..... कवा कवा येत जा.... | shrikant dhote | 4,181 | 3 |
30/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | अंगाई गीत | वैभव भिवरकर | 5,343 | 3 |
28/03/2017 | योद्धा शेतकरी | एक लेख एका आत्मप्रौढीचा! | गंगाधर मुटे | 4,538 | 3 |
11/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | जगवा किसान आता | Dhirajkumar Taksande | 3,442 | 3 |
11/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | कर्जमृत्यु | Dhirajkumar Taksande | 3,314 | 3 |
11/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | नांगरणी | Dhirajkumar Taksande | 4,075 | 3 |
12/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | नाही करायची आत्महत्या | K N Salunke | 4,123 | 3 |
12/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | बळीराजा | K N Salunke | 4,019 | 3 |
15/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | जगावं की मरावं | मुक्तविहारी | 3,999 | 3 |
30/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | शेतकरी पुत्रांचा स्वाभिमान | पंकज गायकवाड | 3,477 | 3 |
30/09/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | नाहीतर करावी का आत्महत्या ? | मुक्तविहारी | 4,848 | 3 |
01/10/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | शरद जोशी भारतात परत आले नसते तर ??? | rameshwar | 4,404 | 3 |
01/10/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | परतीचा पाऊस | RANGNATH TALWATKAR | 3,240 | 3 |
02/10/2017 | लेखनस्पर्धा-२०१७ | # जाच... | Gujarathi sandi... | 3,699 | 3 |
06/02/2018 | शेतकरी गझल | झोपेच्या घाती | Dr. Ravipal Bha... | 3,045 | 3 |
12/02/2018 | साहित्य चळवळ | ४ थे अ.भा.म.शे.सा.सं : चित्रवृत्तांत : गझल मुशायरा | गंगाधर मुटे | 4,114 | 3 |
15/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | गझल | Dr. Ravipal Bha... | 2,840 | 3 |
16/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | गझल | Dhirajkumar Taksande | 9,154 | 3 |
18/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | आडून धोरणांच्या! | प्रदीप थूल | 3,164 | 3 |
19/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | धोरण | RANGNATH TALWATKAR | 4,353 | 3 |
20/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | बंद रस्ते | Rajesh Jaunjal | 3,940 | 3 |
20/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | छंदमुक्त कविता- धावपट्टी | Rajesh Jaunjal | 3,382 | 3 |
20/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | तुमचे धोरण, हेच आमचे मरण... | पंकज गायकवाड | 3,913 | 3 |
20/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | अभंग | RANGNATH TALWATKAR | 4,027 | 3 |
24/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | वादळ | आशिष आ. वरघणे | 3,064 | 3 |
29/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | बळीराजा | Chitra Kahate | 3,292 | 3 |
29/09/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | तू रे पोशिंदा जगाचा | ravindradalvi | 4,320 | 3 |
10/10/2018 | अंगारमळा | आरक्षणाचे आकर्षण संपवणे गरजेचे! | गंगाधर मुटे | 4,692 | 3 |
10/10/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | सरकारी धोरण, रचे बापाचे सरण | बालाजी कांबळे | 4,505 | 3 |
15/10/2018 | लेखनस्पर्धा-२०१८ | गझल | Dr. Ravipal Bha... | 3,703 | 3 |