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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक |
प्रतिसाद![]() |
वाचने | अंतिम अद्यतन |
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06/10/18 | गझल | गझल | Dr. Ravipal Bha... | 1,425 | 6 वर्षे 6 months | |
24/09/18 | गीतरचना | शेतकऱ्याच्या मुला | आशिष आ. वरघणे | 790 | 6 वर्षे 7 months | |
30/09/18 | गझल | गझल | Dhirajkumar Taksande | 996 | 6 वर्षे 6 months | |
20/09/18 | गीतरचना | ऊठ ऊठ शेतकरी बाळा | गंगाधर मुटे | 1,087 | 6 वर्षे 7 months | |
09/09/18 | छंदमुक्त कविता | पोट भरल्यावर लढाई संपते यार | Kiran dongardive | 1 | 1,519 | 6 वर्षे 4 months |
09/09/18 | काव्यसंग्रह समीक्षण | *अस्वस्थ काळ अधोरेखित करणारा - माणसाच्या सोयीचा देव* | Kiran dongardive | 1 | 2,060 | 6 वर्षे 3 months |
09/10/18 | गीतरचना | धोरण | RANGNATH TALWATKAR | 1 | 2,087 | 6 वर्षे 4 months |
11/10/18 | वैचारिक लेख | दीडपट हमीभावाचा सर्जिकल स्ट्राईक | आदिनाथ ताकटे | 1 | 2,432 | 6 वर्षे 4 months |
27/09/18 | पद्यकविता | पोसता कांदा... | Raosaheb Jadhav | 1 | 1,362 | 6 वर्षे 4 months |
30/09/18 | छंदमुक्त कविता | गांधीबाबा | Kiran dongardive | 1 | 1,516 | 6 वर्षे 4 months |
02/10/18 | छंदमुक्त कविता | धोरण.. | ravindradalvi | 1 | 1,617 | 6 वर्षे 4 months |
09/09/18 | पद्यकविता | सासर झालं माहेर | Kiran dongardive | 1 | 1,618 | 6 वर्षे 4 months |
06/10/18 | गझल | गझल: सर्वहारा | Dhirajkumar Taksande | 1 | 1,765 | 6 वर्षे 4 months |
09/09/18 | गझल | खेळत नाहीत मुले | Kiran dongardive | 1 | 1,683 | 6 वर्षे 7 months |
11/10/18 | वैचारिक लेख | आम्ही वृक्षासाठी,वृक्ष सर्वांसाठी | आदिनाथ ताकटे | 1 | 3,403 | 6 वर्षे 4 months |
26/09/18 | पद्यकविता | बैल म्हणाले | आशिष आ. वरघणे | 1 | 1,592 | 6 वर्षे 4 months |
15/09/18 | पद्यकविता | गोट तुमी वो ऐका | K N Salunke | 1 | 2,172 | 6 वर्षे 4 months |
27/09/18 | छंदमुक्त कविता | करपलयं शिवार | लक्ष्मण खेडकर | 1 | 1,733 | 6 वर्षे 4 months |
16/09/18 | गझल | गझल | Dhirajkumar Taksande | 1 | 1,223 | 6 वर्षे 7 months |
27/09/18 | पद्यकविता | घाला दोन रेघा... | Raosaheb Jadhav | 1 | 1,308 | 6 वर्षे 4 months |
09/10/18 | चळवळीतील अनुभव | शेतमालाच्या भावाची लढाई | तेजराव मुंढे | 1 | 2,115 | 6 वर्षे 3 months |
02/10/18 | गझल | नि:शब्द | Rajesh Jaunjal | 1 | 2,086 | 6 वर्षे 6 months |
02/10/18 | ललितलेख | चिमण्या परत आल्या ; अन् गेल्याही | Bhaskar Bhujang... | 1 | 2,197 | 6 वर्षे 4 months |
09/09/18 | छंदमुक्त कविता | भारत महासत्ता कधी होईल यार | Kiran dongardive | 1 | 3,216 | 6 वर्षे 4 months |
09/09/18 | अनुभवकथन | ATM समोरील भिकारी | Kiran dongardive | 1 | 2,171 | 6 वर्षे 7 months |