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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक |
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वाचने | अंतिम अद्यतन |
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31/10/20 | मागोवा | श्रदांजली वाहण्याचा वैताग आलाय! : कोरोना माहात्म्य ||११|| | गंगाधर मुटे | 834 | 2 वर्षे 6 months | |
02/10/20 | मागोवा | अस्वस्थतेकडून अस्वास्थ्याकडे : कोरोना माहात्म्य ||१२|| | गंगाधर मुटे | 692 | 2 वर्षे 6 months | |
04/01/21 | गझल | संकटांचा नजारा. | Krushna Ashok Jawle | 525 | 2 वर्षे 4 months | |
16/10/20 | वैचारिक लेख | कोरोना : गतिमान बदलांची बदलती मानसिकता | Raosaheb Jadhav | 514 | 2 वर्षे 7 months | |
02/10/20 | ललित लेखांचे समीक्षण | गावात कोरोना आला अन् पेरा गेला ।। | रजनी ताजने | 1 | 499 | 2 वर्षे 7 months |
19/09/20 | गेय रचना/गीत/पोवाडा/इत्यादी | धर्मापेक्षा माणसं प्यारी. | बालाजी कांबळे | 1 | 442 | 2 वर्षे 7 months |
15/09/20 | ललित लेखांचे समीक्षण | गाई गेल्या राना समृध्द लोकसंस्कृतीचा नैसर्गिक खजिना | Kiran dongardive | 1 | 522 | 2 वर्षे 7 months |
30/09/20 | कथा | मळणी | श्रीकांत दशरथ कारंडे | 1 | 459 | 2 वर्षे 7 months |
19/09/20 | पद्यकविता | शेती आणि कोरोना | Vishal Marathe | 1 | 526 | 2 वर्षे 7 months |
19/09/20 | पद्यकविता | रेंज इथं मिळत नाही... | Raosaheb Jadhav | 1 | 416 | 2 वर्षे 7 months |
02/10/20 | छंदमुक्त कविता | कोरोना | रजनी ताजने | 1 | 412 | 2 वर्षे 7 months |
19/09/20 | गझल | रान उद्वस्त येथे | Dr Asha Munde | 1 | 590 | 2 वर्षे 6 months |
08/10/20 | मागोवा | राजकीय मेंदू करतोय भारतीय शेतीचा घात : कोरोना माहात्म्य ||१३|| | गंगाधर मुटे | 1 | 1,263 | 2 वर्षे 6 months |
15/09/20 | छंदमुक्त कविता | हरवलेल्या पोळ्याच्या आठवणी | Kiran dongardive | 1 | 416 | 2 वर्षे 7 months |
21/09/20 | कवितेचे रसग्रहण | कास्तकारायन | ravindradalvi | 1 | 488 | 2 वर्षे 7 months |
17/09/20 | वैचारिक लेख | शेती आणि कोरोना | Pradip Deshmukh | 1 | 637 | 2 वर्षे 7 months |
25/09/20 | गेय रचना/गीत/पोवाडा/इत्यादी | दुःख वावराचे | श्री. अनिकेत देशमुख | 1 | 443 | 2 वर्षे 7 months |
19/09/20 | छंदमुक्त कविता | रेंज इथं मिळत नाही... | Raosaheb Jadhav | 1 | 433 | 2 वर्षे 7 months |
26/09/20 | गेय रचना/गीत/पोवाडा/इत्यादी | आरं आरं बळीराजा | Jayashree nande | 1 | 581 | 2 वर्षे 6 months |
19/09/20 | पद्यकविता | आणले पाहिजे पुन्हा बळीचे राज. | बालाजी कांबळे | 1 | 459 | 2 वर्षे 7 months |
15/09/20 | पद्यकविता | कोरोना: रडे भूमीचा हा दास | Kiran dongardive | 1 | 476 | 2 वर्षे 7 months |
19/09/20 | कथा | ती, मी आणि दोन आरसे... | Raosaheb Jadhav | 1 | 451 | 2 वर्षे 7 months |
08/09/20 | वैचारिक लेख | कोरोना काळातही शेतीच सर्वश्रेष्ठ | ruawchar | 2 | 812 | 2 वर्षे 7 months |
17/09/20 | छंदमुक्त कविता | शेती आणि कोरोना | रजनी ताजने | 2 | 576 | 2 वर्षे 7 months |
01/10/20 | कथा | -रेशनचा तांदूळ- | NILESHDESHMUKH | 2 | 591 | 2 वर्षे 7 months |