नमस्कार !
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शेतकरी गीत, काव्यगीत
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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19-06-2011 | धकव रं श्यामराव | 1,914 |
18-06-2011 | कसे अंकुरावे अता ते बियाणे? | 2,133 |
18-06-2011 | स्मशानात जागा हवी तेवढी | 2,030 |
15-06-2011 | रानमेवा खाऊ चला....! | 2,166 |
31-05-2011 | उषःकाल होता होता | 2,230 |
माझी मराठी गझल
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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16-04-2014 | शेतकर्याला अभय देणारी निराळी गझल - विजय चव्हाण | 2,553 |
13-04-2014 | वरुणदेवाने फालतू त्याची जात दावू नये | 1,536 |
04-04-2014 | काही स्फूट शेर | 1,994 |
22-03-2014 | रंग आणखी मळतो आहे | 1,491 |
08-05-2013 | माझी गझल निराळी - भूमिका | 3,241 |
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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23-06-2011 | अनुभवांची शिदोरी आणि सृजनशीलतेची समृद्धी | 1,887 |
23-06-2011 | एक “अनुभवसिद्ध रानमेवा" | 1,840 |
"रानमेवा" काव्यसंग्रह
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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23-06-2011 | रानमेवा - भूमिका | 48,168 |
23-06-2011 | रानमेवा प्रस्तावना - मा. शरद जोशी | 7,256 |
23-06-2011 | भावात्म काव्यात्मकतेचा 'गोडवा’ | 2,232 |
23-06-2011 | 'सकाळ' 'सप्तरंग पुरवणीत' 'रानमेवा' ची दखल | 3,946 |
23-06-2011 | इतके उत्तम भाष्य फ़क्त श्रेष्ठ कवीच करू शकतो | 2,078 |