नमस्कार !
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ताजे लेखन आणि नवीन प्रतिसाद
प्रकाशन दिनांक | शीर्षक | लेखक | वाचने | प्रतिसाद |
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09-09-18 | पोट भरल्यावर लढाई संपते यार | Kiran dongardive | 1,184 | 1 |
22-09-19 | पोटची भाकर | आशिष आ. वरघणे | 951 | 1 |
02-03-23 | पोटा पुरते पीक | Anil Ghanwat | 321 | |
30-09-17 | पोटातले पाणी | Dhirajkumar Taksande | 2,605 | 4 |
21-09-16 | पोळा अन ती (ग्रामीण कथा) | Raosaheb Jadhav | 4,658 | 3 |
28-06-11 | पोळ्याच्या झडत्या | गंगाधर मुटे | 42,556 | 8 |
30-09-17 | पोवाडा : ऐका ऐका हो शेतकरी | RANGNATH TALWATKAR | 2,459 | 1 |
26-09-17 | पोशिंदा | ravindradalvi | 2,181 | 4 |
13-11-23 | पोशिंदा | surekha | 172 | 2 |
15-11-23 | पोशिंदा | bharti.lakhamapure | 258 | 2 |
विश्वस्तरीय लेखनस्पर्धा : २०१४ ते २०२२
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | लेखक | वाचने |
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20-09-2016 | माती | NageshT | 2,059 |
06-09-2017 | मातीच्या लेकराची लेक | Kiran dongardive | 1,231 |
05-09-2019 | मातीत हरवलेल्या कविता: शेती मातीच्या नव्या कोंबाची कविता। | Kiran dongardive | 2,304 |
13-09-2019 | मातीत हरवल्या कविता : ग्रामीण कवितेचा समृद्ध हुंकार | मुक्तविहारी | 4,048 |
04-01-2023 | मातीतून येणारा शब्दरूपी दरवळ - काळी आई | सचिन शिंदे | 374 |