किसानो हो जावो तैय्यार : शेतकरी गीत ॥२३॥
होजा रे तैय्यार साथी रे होजा रे तैय्यार
हो जावो तैय्यार किसानो हो जावो तैय्यार
आओ मिलकर हाथ उठालो
मिलकर कर लो वार
खून पसीना सींच के हमने देश की किस्मत बोई
हाथ लगे जो भाव देखकर अपनी अस्मत खोई
फसल हमारी लूट ले गयी! चोरों की सरकार
बकरी, गैया, भैंस हमारे आँगन की है शान
स्तन माता के सूने है एवं भुखी है नन्ही जान
क्यों अपनी किस्मत है रूठी? सोचो मेरे यार
इस खेती की अस्मत लूटकर हमें भाषण से भरमाये
नेता, तस्कर, गुंडा, अफसर मिलकर माखन खाये
उठो किसानो वक्त आगया, करो अभय हुंकार
- गंगाधर मुटे 'अभय'
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पंचेवीस/नऊ/दोन हजार पंधरा
प्रतिक्रिया
वाह वा....खूप सुंदर
वाह वा....खूप सुंदर
धन्यवाद
धन्यवाद निलेशजी
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