नमस्कार !
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प्रकाशन दिनांक | प्रकार | शिर्षक | लेखक | वाचने | प्रतिसाद | अंतिम अद्यतन |
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08/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | जीवाभावाचा पाखर्या | संदीप हरी नाझरे | 1,696 | 1 | 08/09/16 |
07/09/2016 | लेखनस्पर्धा-२०१६ | ऋतू रुसला | ऋषभ कुलकर्णी | 1,270 | 1 | 07/09/16 |
04/09/2016 | माझे गद्य लेखन | प्रणाम युगात्म्या | गंगाधर मुटे | 1,296 | 04/09/16 | |
11/08/2016 | माझी कविता | अभिमानाने बोल : जय विदर्भ! | गंगाधर मुटे | 1,548 | 11/08/16 | |
16/03/2016 | साहित्य चळवळ | शहरी माणसाच्या नजरेतून... दुसरे मराठी शेतकरी साहित्य संमेलन.... | Ravindra Kamthe | 2,960 | 1 | 04/07/16 |
23/04/2016 | साहित्य चळवळ | २ रे अ.भा. मराठी शेतकरी साहित्य संमेलन : वृत्तपत्र वृत्तांत | गंगाधर मुटे | 4,605 | 23/04/16 | |
23/04/2016 | चित्रफित-VDO | माथाडी कामगार शेतकर्यांच्या जिवावर का उठलेत? | गंगाधर मुटे | 1,980 | 23/04/16 | |
22/04/2016 | साहित्य चळवळ | २ रे अ.भा. मराठी शेतकरी साहित्य संमेलन : VDO | गंगाधर मुटे | 3,112 | 22/04/16 | |
13/10/2015 | माझी मराठी गझल | कळली तर कळवा | गंगाधर मुटे | 4,072 | 3 | 11/04/16 |
17/03/2016 | साहित्य चळवळ | कणसातली माणसं : प्रातिनिधिक शेतकरी कवितासंग्रह | गंगाधर मुटे | 1,945 | 17/03/16 |
विश्वस्तरीय लेखनस्पर्धा : २०१४ ते २०२२
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | लेखक | वाचने |
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20-09-2016 | आले नभ गेले नभ | मुक्तविहारी | 1,247 |
20-09-2016 | दारिद्रय | मुक्तविहारी | 1,183 |
19-09-2016 | ये रे पावसा. | Pradnya | 1,872 |
19-09-2016 | चल चल पावसा | Pradnya | 1,332 |
19-09-2016 | बैल-वीनवणी. | Pradnya | 1,653 |
नवीन प्रतिसाद