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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक |
प्रतिसाद![]() |
वाचने | अंतिम अद्यतन |
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19/09/20 | गझल | रान उद्वस्त येथे | Dr Asha Munde | 1 | 689 | 3 वर्षे 1 month |
08/10/20 | मागोवा | राजकीय मेंदू करतोय भारतीय शेतीचा घात : कोरोना माहात्म्य ||१३|| | गंगाधर मुटे | 1 | 1,483 | 3 वर्षे 2 आठवडे |
15/09/20 | छंदमुक्त कविता | हरवलेल्या पोळ्याच्या आठवणी | Kiran dongardive | 1 | 504 | 3 वर्षे 2 months |
21/09/20 | कवितेचे रसग्रहण | कास्तकारायन | ravindradalvi | 1 | 566 | 3 वर्षे 2 months |
17/09/20 | वैचारिक लेख | शेती आणि कोरोना | Pradip Deshmukh | 1 | 734 | 3 वर्षे 1 month |
25/09/20 | गेय रचना/गीत/पोवाडा/इत्यादी | दुःख वावराचे | श्री. अनिकेत देशमुख | 1 | 522 | 3 वर्षे 2 months |
19/09/20 | छंदमुक्त कविता | रेंज इथं मिळत नाही... | Raosaheb Jadhav | 1 | 520 | 3 वर्षे 2 months |
26/09/20 | गेय रचना/गीत/पोवाडा/इत्यादी | आरं आरं बळीराजा | Jayashree nande | 1 | 688 | 3 वर्षे 1 month |
19/09/20 | पद्यकविता | आणले पाहिजे पुन्हा बळीचे राज. | बालाजी कांबळे | 1 | 548 | 3 वर्षे 2 months |
15/09/20 | पद्यकविता | कोरोना: रडे भूमीचा हा दास | Kiran dongardive | 1 | 561 | 3 वर्षे 2 months |
19/09/20 | कथा | ती, मी आणि दोन आरसे... | Raosaheb Jadhav | 1 | 535 | 3 वर्षे 2 months |
31/10/20 | मागोवा | श्रदांजली वाहण्याचा वैताग आलाय! : कोरोना माहात्म्य ||११|| | गंगाधर मुटे | 983 | 3 वर्षे 1 month | |
02/10/20 | मागोवा | अस्वस्थतेकडून अस्वास्थ्याकडे : कोरोना माहात्म्य ||१२|| | गंगाधर मुटे | 808 | 3 वर्षे 1 month | |
04/01/21 | गझल | संकटांचा नजारा. | Krushna Ashok Jawle | 597 | 2 वर्षे 11 months | |
16/10/20 | वैचारिक लेख | कोरोना : गतिमान बदलांची बदलती मानसिकता | Raosaheb Jadhav | 598 | 3 वर्षे 1 month |