नमस्कार !
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प्रकाशन दिनांक | शीर्षक | गझलकार | वाचने | प्रतिसाद |
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15-07-2011 | कान पकडू नये | गंगाधर मुटे | 5,818 | 4 |
15-07-2011 | पांढरा किडा | गंगाधर मुटे | 2,531 | 2 |
15-07-2011 | लगान एकदा तरी | गंगाधर मुटे | 1,748 | |
15-07-2011 | एकदा तरी | गंगाधर मुटे | 1,549 | |
15-07-2011 | नेते नरमले | गंगाधर मुटे | 1,487 | |
15-07-2011 | ’पाकनिष्ठ’ कांदा, लुडबूडतो कशाला? | गंगाधर मुटे | 1,561 | |
15-07-2011 | भारी पडली जात | गंगाधर मुटे | 1,742 | |
15-07-2011 | सोकावलेल्या अंधाराला इशारा | गंगाधर मुटे | 1,513 | |
12-07-2011 | हिमालयाची निधडी छाती | गंगाधर मुटे | 1,648 | |
12-07-2011 | कुटिलतेचा जन्म…….!! | गंगाधर मुटे | 1,993 | |
12-07-2011 | मरण्यात अर्थ नाही | गंगाधर मुटे | 1,673 |